गरतांग गली में CCTV कैमरे लगाने के लिए लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखा गया है। पार्क प्रशासन का कहना है कि गरतांग गली में CCTV कैमरे लगने से पर्यटकों को सुरक्षा के साथ ही इस धरोहर के संरक्षण के लिए उपयोगी साबित होगा। गरतांग गली से दो किमी पहले लंका के समीप गरतांग गली जाने के लिए मुख्य गेट का निर्माण किया गया है।
गरतांग गली के मुख्य गेट सहित सीढ़ियों पर दो से तीन CCTV कैमरे लगाने की योजना है। इससे पर्यटकों की सुरक्षा के साथ ही पूर्व में गरतांग गली को बदरंग करने वाली घटनाओं पर पैनी नजर रहेगी।
गरतांग गली को बीती 18 अगस्त को प्रशासन ने पुनर्निर्माण के बाद पर्यटकों के लिए खोला है। गरतांग गली के खुलने के कुछ दिनों के भीतर ही कुछ लोगों ने इसकी लकड़ी की रेलिंग को बदरंग करना शुरू कर दिया।

ऐसा माना जाता है कि उत्तरकाशी शहर और तिब्बत के व्यापारियों के बीच व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिए पठानों द्वारा जद गंगा नदी के किनारे एक बहुत ही संकरी और पथरीली पहाड़ी पर बनाया गया था।
1962 में भारत-चीन युद्ध तक सीढ़ी चालू थी और बाद में नेलोंग घाटी को बाहरी दुनिया के लिए बंद कर दिया गया था। सरकार ने 2017 में घाटी को फिर से खोलने का फैसला किया, जिसके बाद प्राचीन स्काईवॉक के नवीनीकरण की योजना बनाई गई। भारत-चीन सीमा के करीब, नेलोंग घाटी दोपहर के समय भी बर्फीली हवाओं के लिए विख्यात मानी जाती है।