- पं. उमेश दीक्षित
प्रत्येक युग में 9 देवियां अलग-अलग होती हैं। यह एक वृहद विषय है जिसका उल्लेख यहां संभव नहीं है। कलियुग में प्रत्येक दिन की देवियां अलग-अलग अधिष्ठात्री हैं जिनकी साधना से कामना-पूर्ति अलग-अलग है, जो निम्न प्रकार से की जा सकती है।
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1. माता शैलपुत्री : पर्वतराज हिमालय की पुत्री माता दुर्गा का प्रथम रूप है। इनकी आराधना से कई सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
प्रतिपदा को मंत्र- 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्ये नम:' की माला दुर्गाजी के चित्र के सामने यशाशक्ति जप कर घृत से हवन करें।
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