कई लोगों का दावा है कि अगर वस्तुओं के दाम बढ़े है तो उनकी आय भी बढ़ी है। मगर आय और खर्चों के साथ ही रुपए की कीमत का आंकलन किया जाए तो हम नुकसान में ही ज्यादा रहे। 3 आवश्यक वस्तुओं रोटी, कपड़ा और मकान सभी के दाम कई गुना बढ़ गए। इन 74 सालों में मेहनतकश भारतीय सुविधा भोगी हो गए और हर सुविधा की उन्हें कीमत भी चुकानी पड़ी।
इस बीच देश में एक वर्ग को सुविधाओं के नाम मुफ्तखोरी की आदत भी लगा दी गई। आज देश में कई योजनाओं में लोगों को वस्तुएं मुफ्त दी जा रही हैं। राशन, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि कई चीजें मुफ्त दी जा रही हैं। इसका सारा बोझ भी देश की टैक्स देने वाली जनता पर ही डाल दिया गया है।
बहरहाल देश की जनता जो 2 जून की रोटी के लिए रात दिन एक कर देती है। उसके सामने बच्चों का सुनहरा भविष्य गढ़ने की चुनौती है। सरकारी क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य भले ही सस्ता हो पर वहां 'क्वालिटी' नहीं है। निजी क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों ही बहुत महंगे हैं। महंगी शिक्षा, महंगा स्वास्थ्य, महंगी बिजली ने व्यक्ति का जीना दूभर कर रखा है। इसकी पूर्ति के लिए व्यक्ति को बीमा का सहारा लेना पड़ रहा है।
1990 में 1 हजार रुपए में एक व्यक्ति घर चला लेता था, बच्चों को पढ़ा भी लेता था और मकान किराया भी दे देता था। वहीं 2021 में उसे 20 हजार रुपए भी कम पड़ते हैं।

सीए उमेश राठी के अनुसार, अगर आपको अमेरिका जैसी सुविधाएं चाहिए तो लोगों को टैक्स के मामले में ज्यादा ईमानदार होना होगा। टैक्स के दायरे में अगर ज्यादा लोग आएं तो इससे लोगों पर टैक्स का भार भी कम होगा।

हाउस वाइफ दक्षा शर्मा कहती हैं कि इस दौर में पिछली बचत भी महंगाई की भेंट चढ़ गई। पति से मिलने वाले घर खर्च में बहुत कम बढ़ोतरी हुई, जबकि महंगाई तुलनात्मक रूप से ज्यादा बढ़ी। ऐसे में बहुत खींचतान कर घर चल पा रहा है। पति की भी अपनी मजबूरी है क्योंकि उनके वेतन में तो कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है, उल्टा पेट्रोल का खर्च और बढ़ गया।

बहरहाल जनता अब महंगाई से त्रस्त होने लगी है। सभी इस महामारी से स्वतंत्र होना चाहते हैं। अगर उन्हें इससे आजादी मिल जाए तो उनका वर्तमान और भविष्य दोनों ही सुखद हो जाएंगे। हालांकि इसकी उम्मीद नहीं के बराबर है।