67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में सुपरस्टार रजनीकांत को फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया है। रजनीकांत को भारतीय सिनेमा जगत में अतुलनीय योगदान देने के लिए इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
12 दिसंबर 1950 को बेंगलुरू में जन्मे रजनीकांत का आज पूरी फिल्म इंडस्ट्री में डंका बजता है। अपने करोड़ों फैंस के बीच रजनी 'थलाइवा' नाम से मशहूर हैं। रजनीकांत ने बस कंडक्टर से लेकर साउथ की फिल्मों के भगवान बनने तक का सफर तय किया है।
बंगलुरू परिवहन सेवा (बीटीएस) का एक बस कंडक्टर न केवल दक्षिण भारत की फिल्मों का सुपरस्टार बना बल्कि बॉलीवुड समेत पूरी दुनिया के सितारों के बीच अपनी अलग पहचान बनाई। रजनीकांत ने परिवार की मदद करने के लिए कारपेंटर से लेकर कुली तक का काम किया।

रजनीकांत कंडक्टरगिरी करते वक्त सिगरेट उछाल कर पीना, गॉगल के साथ खेलना करते रहते थे। एक नाटक के मंचन के दौरान फिल्म निर्देशक के. बालाचंदर उनसे मिले और उनके समक्ष उनकी तमिल फिल्म में अभिनय करने का प्रस्ताव रखा। इस तरह उनके करियर की शुरुआत बालाचंदर निर्देशित तमिल फिल्म 'अपूर्वा रागंगाल' (1975) से हुई, जिसमें वह खलनायक बने।

तेलुगु फिल्म 'छिलाकाम्मा चेप्पिनडी' (1975) में रजनीकांत को मुख्य अभिनेता की भूमिका मिली। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कुछ सालों में ही रजनीकांत तमिल सिनेमा के महान सितारे बन गए और तब से सिनेमा जगत में एक प्रतिमान बने हुए हैं।
मितभाषी रजनीकांत ने अन्य देशों की फिल्मों में भी काम किया है, जिनमें अमेरिका की फिल्में भी शामिल हैं। वह उन गिने-चुने सितारों में से हैं, जो मानते हैं कि उनका काम खुद-ब-खुद उनके बारे में बोलेगा।