राज्य की राजनीति में दोस्त से दुश्मन बने लालू और नीतीश ने अपने-अपने मतभेदों को भुलाकर 40 साल पुराने छात्र आंदोलन के जमाने के गठबंधन को फिर से खड़ा किया। इसी छात्र आंदोलन को वरिष्ठ समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण ने हिन्दुस्तान की राजनीति में बड़े बदलावकारी आंदोलन का रूप दिया था।
उस आंदोलन की सीढ़ी पर चढ़कर 1977 के लोकसभा चुनाव में पहली बार कूदे लालू की किस्मत रंग लाई और वे चुनाव जीत गए। लेकिन उनके साथी नीतीश कुमार को 1985 में राज्य विधानसभा चुनाव में पहली बार जीत हासिल करने में 8 साल लग गए, जो उस समय तत्कालीन बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (आज के एनआईटी पटना) में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। 1985 से पहले नीतीश 2 बार चुनाव हार गए थे।
नीतीश कुमार ने 1989 में बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता पद के लिए लालू का समर्थन किया। इसके बाद 1990 में बिहार में जनता दल के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश ने फिर लालू के कंधे पर हाथ रखा जिन्होंने प्रधानमंत्री वीपी सिंह के नामित उम्मीदवारों राम सुंदर दास तथा रघुनाथ झा को चुनौती दी थी। (भाषा)