पितृ दिवस पर कविता : पापा जल्दी आ जाना, घंटों गप्पे लड़ाएंगे
राकेशधर द्विवेदी | रविवार,जून 19,2022
मैं तुमसे बातें करने, मोबाइल रोज मिलाता हूं, टन-टन घंटी रोज है बजती, बात नहीं कर पाता हूं
पिता पर कविता : संडे जल्दी से आ जाओ, पापा से पूरे दिन मिलाओ
राकेशधर द्विवेदी | शुक्रवार,जून 17,2022
मैं मम्मा से पूछता हूं, पापा कब मेरे संग खेलेंगे, मम्मा धीरे से समझाती
वो तो संडे को मिल पाएंगे...
हिन्दी कविता : सिया जू की प्यारी मिथिला नगरिया
राकेशधर द्विवेदी | मंगलवार,मई 24,2022
सिया जू की प्यारी मिथिला नगरिया, देखो बरात ले के आए हैं।
लक्ष्मण राम संवरिया, बरात को देखकर सखिया मुस्काई
महिमा मैया की कितना बखाने
राकेशधर द्विवेदी | रविवार,अप्रैल 10,2022
कविता- महिमा मैया की कितना बखाने
हिन्दी कविता : राजा दशरथ के घर बाजे शहनाई रे
राकेशधर द्विवेदी | मंगलवार,फ़रवरी 22,2022
राजा दशरथ के घर बाजे शहनाई रे, गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाऊं,
सब मिल के गावे बधाई रे, गंगा मैया तोहे पियरी चढ़ाऊं
प्रेम कविता : गीत बनकर वो आने लगे
राकेशधर द्विवेदी | शुक्रवार,फ़रवरी 4,2022
गीत बनकर वो आने लगे, अधरों पर मुस्कुराने लगे
राज अंखियन का क्या कहूं मैं, उनके नैना कजरारे लगने लगे
प्रेम कविता: वो मेरा दोस्त...!
राकेशधर द्विवेदी | गुरुवार,जनवरी 20,2022
वो मेरा दोस्त मुझे अब खुदा सा लगता है। तमाम मोड़ में सबसे जुदा सा लगता है। हंसता है तो आकाश में चांद खिला सा लगता है
अवध में विराजे श्रीराम जी
राकेशधर द्विवेदी | गुरुवार,जनवरी 20,2022
अवध में विराजे श्रीराम जी, पावन भई अयोध्या, सब मिल गावे रे मंगलाचार जी
पावन भई अयोध्या
हिन्दी कविता : जय श्रीराम
राकेशधर द्विवेदी | सोमवार,अगस्त 23,2021
जय-जय श्रीराम जय-जय प्रभु राम, मेरे मन में बसे हैं श्रीराम, मेरे रोम-रोम में बसे हैं श्री प्रभु राम
मार्मिक कविता : व्हाट्सएप चलाती हुई मां
राकेशधर द्विवेदी | मंगलवार,जून 1,2021
मैंने अचानक अपने व्हाट्सएप पर देखा तो वह अनेक हिदायतें
और आशीर्वादों से भरा था