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एक दिन राजा कृष्णदेव राय शिकार के लिए गए। वे जंगल में भटक गए। दरबारी पीछे छूट गए। शाम होने को थी। उन्होंने घोड़ा एक पेड़ से बांधा। रात पास के एक गांव में बिताने का निश्चय किया। राहगीर के वेश में किसान के पास गए। कहा, 'दूर से आया हूं। रात को आश्रय मिल सकता है?'
किसान बोला, 'आओ, जो रूखा-सूखा हम खाते हैं, आप भी खाइएगा। मेरे पास एक पुराना कम्बल ही है, क्या उसमें जाड़े की रात काट सकेंगे?' राजा ने ‘हां’ में सिर हिलाया।