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बादशाह अकबर को पहेली सुनाने और सुनने का काफी शौक था। कहने का मतलब यह कि पक्के पहेलीबाज थे।
वे दूसरों से पहेली सुनते और समय-समय पर अपनी पहेली भी लोगों को सुनाया करते थे। एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल को एक नई पहेली सुनाई, 'ऊपर ढक्कन नीचे ढक्कन, मध्य-मध्य खरबूजा। मौं छुरी से काटे आपहिं, अर्थ तासु नाहिं दूजा।'
पहेली सुनकर बीरबल ने क्या महसूस किया...