दरगाह के इतिहास के बारे में तरह-तरह की धारणाएँ प्रचलित हैं। कोई इसे 11 सौ साल पुरानी बताता है तो कोई 101 वर्ष पुरानी। यह एक ऐसी दरगाह है, जिसके बाबा कौन हैं अर्थात यह किसकी दरगाह है और इसका नाम काली मस्जिद कैसे पड़ा, इस बात का किसी को भी पता नहीं। प्रेतबाधा मुक्ति के वैसे तो अनेक स्थान हैं, लेकिन इस स्थान का अपना अलग ही महत्व है। कुछ भी हो, परंतु यह बात निश्चित है कि हर गुरुवार को भूत बाधाओं से पीडि़त हजारों लोग यहाँ आते हैं।

इस बारे में जब हमने स्थानीय श्रद्धालु वामिक शेख से बात की तो उन्होंने कहा कि मेरे जीवन में जब भी कोई परेशानी खड़ी हुई, मैंने बाबा के दरबार में हाजिरी दी है और यहीं से मुझे सब कुछ मिला है। यहाँ से गंभीर रोगी भी ठीक होकर गए हैं। जिस पर बाबा का करम हो जाता है, उसके जीवन में कभी कोई आफत नहीं आती।
वैज्ञानिक युग में जहाँ भूत-प्रेत महज एक अंधविश्वास से अधिक कुछ नहीं, वहीं यहाँ आने वाले लोगों का कहना है कि जो उन्होंने अपनी आँखों से देखा है उसे वे कैसे झुठला सकते हैं? क्या वाकई भूत-प्रेत होते हैं या यह महज अंधविश्वास है, फैसला आपको करना है....आप हमें अपनी राय से जरूर अवगत कराएँ।