हैरत की बात यह कि पेशे से किसान राजेन्द्र ने इसके लिए किसी प्रकार का प्रशिक्षण नहीं लिया है। वे सिर्फ 12वीं पढ़े हैं। इस कार के बनाने के पीछे राजेन्द्र जाधव का कहना है कि बारिश के दिनों में मोटरसाइकल से गांव से निकलना दूभर हो जाता है। तब उन्होंने सोचा कि क्यों न ऐसी छोटी कार बनाई जाए जो सर्दी, बारिश, गर्मी सभी मौसम में आरामदायक हो। गांव की संकरी गलियों से भी यह कार आसानी से निकल जाती है। इस कार को राजेन्द्र जाधव ने इस तरह से डिजाइन किया है कि 50 की रफ्तार पर चलने पर भी यह कार पलटती नहीं है।
गर्मी और बारिश से बचाव के लिए वे कार पर ऊपरी हिस्सा लगा देते हैं। गांव वाले राजेन्द्र जाधव को 'दा साब' के नाम से जानते हैं। जब गांव की गलियों से बुलेट की आवाज करती हुई यह कार गुजरती है तो गांववाले कहते हैं 'दा साब' की कार आ गई।
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