पृथ्वी दिवस पर कविता : सोचो क्यों कर जिए जा रहे हैं?
रीमा दीवान चड्ढा | शुक्रवार,अप्रैल 22,2022
सोचो ज़रा
अगर हम पेड़ होते
जग को ठंडी छांह देते
फल,पत्ते,लकड़ी भी
कितने उपयोगी होते....!!
नन्ही चिरैय्या अगर ...
महिला दिवस पर कविता : घर में भी थी एक उदास औरत
रीमा दीवान चड्ढा | सोमवार,मार्च 7,2022
उनकी विजयी मुस्कान !!
बहुत भली सी लगतीं हैं
हँसने मुस्कुराने वाली ये औरतें
टी.वी. के पर्दे पर
सिनेमा के बड़े पर्दे ...
ऋतुराज बसंत : कल,आज और कल
रीमा दीवान चड्ढा | शनिवार,फ़रवरी 5,2022
ऋतुराज बसंत का आगमन ....आह !कैसा अनोखा जीवन सुख है पतझर की गहन नीरवता के बाद मीठे कंठ का सुरीला गायन । उदासी के सारे ...
हिन्दी दिवस : निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल
रीमा दीवान चड्ढा | मंगलवार,सितम्बर 14,2021
गर्व होता है न हमारी राष्ट्र की भाषा पर। आज हिन्दी दिवस है। भारत में हिन्दी बोलने का दिन। अपने देश में अपनी ही भाषा के ...
कविता : हर एक ग़म को हर्फ़ में ढाला था
रीमा दीवान चड्ढा | बुधवार,मार्च 31,2021
हर एक ग़म को हर्फ़ में ढाला था किसे कहां पता भीतर हाला था
लब की शोख हंसी चेहरे का नूर ख़ुद को तपा कर उसने ढाला था
31 मार्च : मीना कुमारी की पुण्यतिथि पर विशेष
रीमा दीवान चड्ढा | बुधवार,मार्च 31,2021
मीना कुमारी ....अदाकारा..शायरा..31मार्च पुण्यतिथि...आप सबने जाना है फिल्मों के ज़रिए ..लफ्ज़ों में मीना ने क्या ...
कविता: कोई अमृता साहिर पर नहीं मर मिटती...
रीमा दीवान चड्ढा | सोमवार,अगस्त 31,2020
सब इतिहास की तरह ज़माने के सामने हैं
23 अप्रैल विश्व पुस्तक दिवस : पुस्तकें कभी धोखा नहीं देती
रीमा दीवान चड्ढा | गुरुवार,अप्रैल 23,2020
23 अप्रैल, विश्व पुस्तक एवं स्वत्वाधिकार दिवस। एक विशेष दिन, जो बताना चाहता है कि जीवन में सबसे अच्छा मित्र यदि कोई है ...
बाल दिवस 2019: अपने भीतर के बच्चे को मुरझाने न दें, खिलने खिलखिलाने दें
रीमा दीवान चड्ढा | गुरुवार,नवंबर 14,2019
जीवन में उम्र के लम्हे जितने बढ़ते जाते हैं हम धीरे-धीरे समझदार होने की कवायद में लग जाते हैं। एक बच्चे को कभी छल कपट ...
दीपावली 2019 : दीपों का प्रकाश और कुछ जरूरी सवाल
रीमा दीवान चड्ढा | बुधवार,अक्टूबर 23,2019
हम भारतीयों को एक बार आत्मचिंतन अवश्य करना चाहिए। देशप्रेम का राग अलापने और महानता का ढोल पीटने के बजाय एकबारगी एक नजर ...