राजगुरु मन ही मन समझ गया कि यह तेनालीराम की चाल है।
तेनालीराम ने पूछा, ‘राजगुरुजी, आपको चोटी के बदले क्या इनाम चाहिए?’
राजगुरु ने कहा, ‘पांच स्वर्ण मुद्राएं बहुत होंगी।’
पांच स्वर्ण मुद्राएं राजगुरु को दे दी गईं और नाई को बुलावाकर राजगुरु की चोटी कटवा दी गई।
अब तेनालीराम ने नगर के सबसे प्रसिद्ध व्यापारी को बुलवाया। तेनालीराम ने व्यापारी से कहा, ‘महाराज को तुम्हारी चोटी की आवश्यकता है।’