माना जा रहा है कि उड़ीसा में राष्ट्रपति शासन लगाने की माँग कैबिनेट मंत्रियों रामविलास पासवान और लालूप्रसाद ने की और इसका अर्जुन सिंह ए. आर अंतुले तथा जयपाल रेड्डी सहित कांग्रेस के मंत्रियों ने पुरजोर समर्थन किया।
...लेकिन बताया जा रहा है कि द्रमुक के टीआर बालू पीएमके के ए. रामदास और राकांपा के प्रफुल्ल पटेल ने राष्ट्रपति शासन लगाने का विरोध किया और संविधान के अनुच्छेद 356 के इस्तेमाल पर लंबे समय से कायम अपने रुख का हवाला दिया।
राष्ट्रपति शासन की माँग उठाने वालों का यह मत था कि अगर सरकार के फैसले को राज्यसभा में पर्याप्त बहुमत नहीं मिलने के कारण इस प्रस्ताव को संसद से मंजूरी नहीं भी मिले, तब भी उन्हें लगता है कि राजनीतिक संदेश और सही संकेत चले जाएँगे।
राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर अलग-अलग आवाजें उठतीं देख प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने कहा अनुच्छेद 356 के इस्तेमाल के लिए कोई आम सहमति नहीं है।
समझा जा रहा है कि उन्होंने हालाँकि यह भी कहा है कि बजरंग दल और विहिप अगर हिंसा में शामिल रखते हैं तो उनसे निपटने के लिए कुछ किया जाना चाहिए।
कैबिनेट ने दोनों संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर चर्चा की, लेकिन इसमें किसी फैसले पर नहीं पहुँचा जा सका। सूत्रों के अनुसार विधि मंत्री एचआर भारद्वाज ने कहा बजरंग दल और विहिप को प्रतिबंधित करने से पहले उनके खिलाफ मामला मजबूत बनाने के लिए उचित साक्ष्य जुटाने की जरूरत है।
एससीएसटी के लिए नया आरक्षण अधिनियम : वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने बताया सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों को सिविल सेवाओं और केंद्र के नियंत्रण में आने वाले अन्य पदों पर पर्याप्त प्रतिनिधित्व उपलब्ध कराने की जरूरत के प्रति संवेदनशील है।
उन्होंने बताया सरकार ने आरक्षण पर निर्देशों को संहिताबद्ध करने के लिए एक आरक्षण अधिनियम लागू करने का संकल्प लिया है और इस उद्देश्य से 2004 में राज्यसभा में अनुसूचित जातियों जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग से आरक्षण से संबंधित प्रावधानों को समाहित करते हुए एक विधेयक पेश किया था।
वित्तमंत्री ने कहा विधेयक के प्रावधानों की विभाग से जुड़ी स्थायी समिति और बाद में मंत्रियों के एक समूह ने समीक्षा की। स्थायी समिति और मंत्रियों के समूह की सिफारिशों पर विचार करने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज वर्ष 2004 के विधेयक को वापस लेने और उसके स्थान पर अनुसूचित जातियों और जनजातियों के बारे में दूसरा विधेयक पेश करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
चिदंबरम ने कहा प्रस्तावित विधेयक में उन कार्यालयों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है, जो आरक्षण के प्रावधानों को लागू नहीं करते और नौकरियों आदि के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को सक्षम बनाने के लिए प्रशिक्षण नहीं देता।
वित्तमंत्री ने कहा प्रस्तावित विधेयक अनुसूचित जातियों और जनजातियों के केंद्रीय सरकार की सेवाओं में आरक्षण को लागू कराने में स्पष्ट और विश्वसनीय ढांचा मुहैया कराएगा। उन्होंने कहा इससे केंद्र सरकार की नौकरियों में आरक्षण की नीति के विविध पहलुओं की व्याख्या में स्पष्टता आएगी और इन जातियों के लोगों के मन में ज्यादा विश्वास पैदा होगा।
तिरुपति हवाईअड्डे को अंतरराष्ट्रीय दर्जा : बैठक में तिरुपति के मौजूदा घरेलू हवाईअड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा घोषित करने के प्रस्ताव पर भी मंजूरी की मुहर लगा दी।