मुझे दु:ख है तो सिर्फ इस बात का कि उनके सान्निध्य में रहने का बहुत कम मौका मिल सका। वे आज इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन सिर्फ शरीर से, आत्मिक और कृतित्व रूप में उन्हें मैं आज भी अपने आसपास बहुत पास महसूस करती हूँ। उनका सौम्य और खिलखिलाता व्यक्तित्व मेरे अंत:स्थल में सदैव मुस्कुराता रहेगा। उनका मातृत्व मैं कभी नहीं भूलूँगी। और भी पढ़ें : |