न यकीं छोड़ सको तुम, न गुमाँ बस्ती में
कोई एक चीज तो रहने दो मियाँ बस्ती में
पक्की सड़कें, भरे बाजार, चमकती गलियाँ
दोस्त सब कुछ है मगर चैन कहाँ बस्ती में
फिर वह रात, वही शख्स, वही बंद किवाड़फिर वही साए, वही शोरे-सगाँ बस्ती में
चाँद का हुस्न, गुलाबों की महक जलती है
जबसे खामोश है चूल्हे का धुआँ बस्ती में
साँस चलती है, मगर कत्ल हुआ है सबका
जिस्म बेसर के हैं सड़कों पे रवाँ बस्ती में
वो जो हँस-बोल के दुख बाँट लिया करते थे
हमको बतलाओ वो रहते हैं कहाँ बस्ती में।